चेकों को नकारना/वापस करना - चेक वापसी ज्ञापन (चेक रिटर्न मेमो) में वापस करने की तारीख का उल्लेख करने की आवश्यकता
आरबीआइ/2010-11/190 1 सितंबर, 2010 अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/महोदय चेकों को नकारना/वापस करना - चेक वापसी ज्ञापन (चेक रिटर्न मेमो) में जैसा कि आप जानते हैं, किसी भी कारण से नकारे गए/वापस किए गए चेक के साथ लगाया जाने वाला ’ चेक वापसी ज्ञापन ’ (चेक रिटर्न मेमो) एक अति महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है, और यदि कानूनी कार्रवाई करने की आवश्यकता पड़ जाए, तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। नकारे गए चेकों को आदाता को वापस करने/उन्हें भेजने सहित नकारे गए चेकों पर कार्रवाई करने की कार्यविधि 26 जून, 2003 के रिज़र्व बैंक के परिपत्र डीबीओडी.बीसी.एलईजी.सं. 113/09.12.001/2002-03 के द्वारा सूचित की गई है। यूनिफार्म रटगुलेशन्स एण्ड रूल्स फार बैंकर्स क्लीयरिंग हाउसेज़ (यूआरआरबीसीएच) के नियम 6 में भी यह निर्धारित है कि अप्रदत्त (बिना भुगतान किये गये) वापस किए गए लिखतों पर हस्ताक्षर/आद्यक्षर सहित आपत्ति स्लिप (पर्ची) होनी चाहिए जिस पर भुगतान मना करने का निश्चित और वैध कारण दिया जाना चाहिए। वापसी के ज्ञापन का फार्मैट (वापस करने की तारीख का उल्लेख करने के फील्ड सहित) तथा आपत्तियों की एक आदर्श सूची यूआरआरबीसीएच के अनुलग्नक डी में दी गई है। बैंकों द्वारा चेक वापसी ज्ञापन पर वापस करने की तारीख का उल्लेख न करने के कई मामले हमारे ध्यान में लाए गए हैं। ग्राहकों के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए और एकसमान प्रथाओं के पालन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे चेक वापसी ज्ञापन में ’ वापस करने की तारीख ’ का अनिवार्यत: उल्लेख करें। भवदीय (पी. वासुदेवन) |
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