भारतीय लेखांकन मानकों का कार्यान्वयन
भारिबैं/2019-20/170 13 मार्च 2020 भारतीय लेखांकन मानकों को अपनाने वाली महोदया/महोदय, भारतीय लेखांकन मानकों का कार्यान्वयन कंपनी अधिनियम (भारतीय लेखांकन मानक) नियम 2015 के नियम 4 के अंतर्गत शामिल गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफ़सी) को अपने वित्तीय विवरण तैयार करने के लिए भारतीय लेखांकन मानकों (इंड एएस) को अपनाया है। उच्च गुणवत्ता और एकसमान कार्यान्वयन अनुपालन के साथ-साथ मिलान की सुविधा एवं बेहतर पर्यवेक्षण सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने संलग्नक में दिये अनुसार इंड एएस पर विनियामकीय निर्देश जारी किए हैं, जो इंड एएस लागू करने वाली एनबीएफ़सी और आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों पर वित्तीय वर्ष 2019-20 से उनके वित्तीय विवरण तैयार करने हेतु लागू होंगे। 2. एनबीएफ़सी/एआरसी द्वारा इंड एएस से संबन्धित विशिष्ट विवेकपूर्ण विषयों पर संलग्न अनुदेश और दिशानिर्देश लेखांकन मानकों की व्यापक व्याख्या नहीं करते हैं और न ही मानकों की तकनीकी व्याख्या करते हैं और न ही इसमें सभी संभावित स्थितियों को शामिल किए जाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। तदनुसार, जिन विषयों को संलग्नक में शामिल नहीं किया गया है, उनके लिए एनबीएफ़सी/एआरसी को भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान द्वारा जारी अधिसूचित लेखांकन मानकों, अनुप्रयोग-दिशानिर्देशों, शिक्षण सामग्रियों और अन्य स्पष्टीकरणों का संदर्भ लेना होगा। भवदीय (मनोरंजन मिश्रा) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियोंऔर आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों1 द्वारा भारतीय लेखांकन मानकों का कार्यान्वयन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों के वित्तीय विवरणियों को तैयार करने और उचित प्रस्तुतीकरण करने का दायित्व प्राथमिक रूप से निदेशक मण्डल का होता है। भारतीय रिज़र्व बैंक यह अपेक्षा करता है कि इंड एएस को उच्च गुणवत्ता के साथ लागू किया जाए; जिसके लिए विस्तृत विश्लेषण,निर्णयों को लागू किए जाने और निर्णयों से संबन्धित विस्तृत दस्तावेज़ तैयार करने की अपेक्षा की जाती है। इन दिशानिर्देशों में आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानिकरण सहित विशिष्ट क्षेत्रों में लेखांकन मानकों को लागू करने में निरंतरता सुनिश्चित करने और इंड एएस लागू होने के कारण विनियमकीय पूंजी को वर्गीकृत करने पर बल दिया गया है। 1. शासन रूपरेखा
2. ईसीएल के लिए विवेकपूर्ण आधार
3. नियामक पूंजी और नियामक अनुपात की गणना (a) 'स्वाधिकृत निधि', 'निवल स्वाधिकृत निधि' और 'विनियामकीय पूंजी' का निर्धारण करने में, एनबीएफसी और एआरसी निम्नलिखित द्वारा निर्देशित किए जाएंगे: i) इंड एएस अंतरण से प्राप्त लाभ सहित वित्तीय साधनों के उचित मूल्यांकन पर उत्पन्न होने वाले किसी भी निवल अप्राप्त लाभ को स्वाधिकृत निधि में शामिल नहीं किया जाना चाहिए जबकि ऐसे सभी निवल हानियों की गणना की जानी चाहिए। स्वाधिकृत निधियों से घटाने के लिए निवल अप्राप्त लाभ का निर्धारण करने में, एनबीएफसी को उचित मूल्य पर मापी गई वित्तीय आस्तियों को निम्नलिखित दो श्रेणियों में वर्गीकृत करना चाहिए-
हालांकि, उपरोक्त श्रेणियों में आंतरिक रूप से समायोजन किया जा सकता है, किन्तु एक श्रेणी के निवल लाभ को अन्य श्रेणी के हानियों से समायोजित नहीं किया जा सकता है। ii) स्वाधिकृत निधि का निर्धारण करते समय (क) स्वाधिकृत ऋण जोखिम और (ख) नकद प्रवाह हेज रिज़र्व के कारण इक्विटी में मान्यता प्राप्त किसी भी अप्राप्त लाभ या नुकसान को शामिल नहीं किया जाएगा। iii) चूंकि श्रेणी ए पर अप्राप्त लाभ स्वाधिकृत निधि की गणना में बाहर रखा गया है, इसलिए एनबीएफसी उपर्युक्त मास्टर निदेश के पैराग्राफ 2 (xxxii) में विनिर्दिष्ट टियर I पूंजी का निर्धारण करते समय अधिग्रहण लागत या सहायक कंपनियों/अन्य समूह कंपनियों और अन्य एनबीएफसी में निवेश/अग्रिमों के उचित मूल्य में से जो कम होगा, उसे कम करेगी। बी श्रेणी (यानी 'अन्य') पर निवल अप्राप्त लाभ के उतने हिस्से को जोखिम भारित आस्तियों से भी कम किया जाएगा जिसे विनियामकीय पूंजी में से बाहर रखा गया था। iv) एआरसी को निवल स्वाधिकृत निधियों की गणना करते समय उपर्युक्त उप-पैराग्राफ (i) से (iii) तक में विनिर्दिष्ट दिशानिर्देशों को यथारूप लागू करेगी। v) एनबीएफसी/एआरसी जहां इंड एएस 101 की शर्तों के अनुसार संपत्ति, संयंत्र और उपकरण (पीपीई) के संबंध में अंतरण की तिथि में उचित मूल्य का उपयोग करते हैं, और मान्य लागत मूल्य और वर्तमान लागत मूल्य के बीच अंतर को जमा लाभ में सीधे समायोजित किया जाता है तो इस प्रकार के अंतरण पर किसी भी उचित मूल्य लाभ को 55 प्रतिशत की छूट पर एआरसीएस के लिए टियर II पूंजी/शुद्ध स्वाधिकृत निधि में शामिल किया जाएगा। vi) वित्तीय लिखतों के लिए 12 महीने की अपेक्षित ऋण हानि (ईसीएल) भत्ते यानी जहां प्रारंभिक पहचान के बाद से ऋण जोखिम में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है, को मौजूदा विनियमों द्वारा निर्दिष्ट सीमाओं के भीतर टियर II पूंजी में सामान्य प्रावधानों और हानि रिज़र्व के अंतर्गत शामिल किया जाएगा। आजीवन ईसीएल को विनियमाकीय पूंजी (अंश) के लिए नहीं गिना जाएगा, जबकि इसे जोखिम भारित आस्तियों से कम किया जाएगा। vii) ऐसी आस्तियों पर शुरू होने वाले मूल एनबीएफसी द्वारा ऋण वर्धन दिये जाने के कारण इंड एएस के अंतर्गत अर्हता प्राप्त नहीं करने वाली प्रतिभूतित आस्तियों पर ऋण जोखिम शून्य प्रतिशत होगा। तथापि, एनबीएफसी ऋण वर्धन राशि का 50 प्रतिशत टियर-1 पूंजी और शेष टियर-2 पूंजी से कम करेगी। (b) विनियमन अनुपात, सीमाएं और प्रकटीकरण इंड एएस आंकड़ों पर आधारित होंगे। एनपीए अनुपात की गणना के लिए ह्रासित आस्तियों और पुनर्गठित आस्तियों को गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के रूप में माना जाएगा। 1वे एनबीएफसी/एआरसी जिन्हें कंपनी (भारतीय लेखा मानक) नियमों, 2015, समय-समय पर यथासंशोधित की शर्तों के अनुसार इंड एएस लागू करने की आवश्यकता होती है 2एनबीएफसी/एआरसी दिसंबर 2015 में बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासल समिति (बीसीबीएस) द्वारा जारी अपेक्षित ऋण हानियों के लिए ऋण जोखिम और लेखांकन पर दिशानिर्देश का संदर्भ ग्रहण करें, जो लगभग 11 सिद्धांतों की संरचना है और जिनमें से पहले आठ सिद्धांत पर्यवेक्षी दिशानिर्देश और अन्य बातों के साथ – साथ बोर्ड/वरिष्ठ प्रबंधन की जिम्मेदारियों, ऋण जोखिम मापन के लिए सुदृढ़ विधियों को अपनाने, प्रकटीकरण आवश्यकताओं आदि से से जुड़े हैं। 3इंड एएस 109 के पैरा B5.5.37 बताता है कि "... कोई संस्था डिफ़ॉल्ट परिभाषा इस प्रकार लागू करेगी कि वे प्रासंगिक वित्तीय लिखत के लिए आंतरिक ऋण जोखिम प्रबंधन उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली परिभाषा के अनुरूप हो और आवश्यकता होने पर गुणात्मक संकेतकों (उदाहरण के लिए, वित्तीय अनुबंधों) पर विचार करेगी। तथापि, एक खंडिट अनुमान है कि कोई डिफ़ॉल्ट ऐसी स्थिति में नहीं होता है यदि एक वित्तीय आस्ति पिछले 90 दिनों से अधिक समय से बकाया है; जब तक कि इकाई के पास यह प्रदर्शित करने के लिए उचित और सहायक जानकारी नहीं होती है कि अधिक मंद डिफ़ॉल्ट मापदंड अधिक उपयुक्त है। इन प्रयोजनों के लिए उपयोग की जाने वाली डिफ़ॉल्ट की परिभाषा सभी वित्तीय लिखतों पर लगातार लागू की जाएगी जब तक कि ऐसी जानकारी उपलब्ध न हो जाए जो दर्शाती है कि अन्य डिफ़ॉल्ट परिभाषा किसी विशेष वित्तीय लिखत के लिए अधिक उपयुक्त है। |
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