धोखाधडी वाले खातों के संबंध में प्रावधानीकरण
भारिबैं/2014-15/594 14 मई 2015 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया / महोदय, धोखाधडी वाले खातों के संबंध में प्रावधानीकरण कृपया 1 जुलाई 2014 के अग्रिमों के संबंध में आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण तथा प्रावधान करने से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंडों पर जारी मास्टर परिपत्र के पैरा 3.3.1(ii) में शहरी सहकारी बैंकों के लिए दिए गए तथा जिला मध्यवर्ती/ राज्य सहकारी बैंकों के संदर्भ में जारी समान दिशानिर्देश देखें, जिनके अनुसार उन खातों के संबंध में जहां प्रतिभूति के मूल्यों में ह्रास से या प्रतिभूति उपलब्ध नहीं होने तथा उधारकर्ताओं द्वारा धोखाधडी जैसे अन्य कारणों से संबंधित खातों में जहां चुकौती के लिए संभावित खतरे हों, वहां आस्ति वर्गीकरण और परिणामी प्रावधानीकरण प्रतिभूति के वसूली योग्य मूल्य पर निर्भर करता है। 2. इस संबंध में समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि सभी धोखाधडी के मामलों के लिए निम्नानुसार एकसमान प्रावधानीकरण मानक निर्धारित किए जाएं : (क) बैंक के प्रति देय समग्र राशि (ऐसी आस्तियों के विरुद्ध रखी गई प्रतिभूति की मात्रा पर ध्यान दिए बिना) अथवा जिसके लिए बैंक जिम्मेदार है (जमाराशि खातों के मामले सहित), के लिए उस तिमाही जिसमें धोखाधडी उजागर हुई है, से प्रारंभ करते हुए अधिकतम चार तिमाहियों की अवधि के भीतर प्रावधान पूर्ण कर लिया जाए; (ख) तथापि, जब कभी भारतीय रिजर्व बैंक को धोखाधडी की सूचना दिए जाने में निर्धारित अवधि से अधिक का विलंब होता है, तब सारा प्रावधान एक बार में ही किया जाना जरूरी होगा । इसके अलावा, जब कभी किसी बैंक द्वारा धोखाधडी की सूचना दिए जाने अथवा इसके प्रति प्रावधानीकरण में विलंब किया गया हो तो भारतीय रिजर्व बैंक, यथोचित पर्यवेक्षीय कार्रवाई भी शुरू कर सकता है। 3. हम इसे पुन: दुहराते हैं कि सभी शहरी सहकारी बैंक/ जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक/ राज्य सहकारी बैंक ‘’धोखाधड़ी-वर्गीकरण और रिपोर्टिंग’’ पर अद्यतन दिशानिर्देशों का निष्ठापूर्वक पालन करें। भवदीया, (सुमा वर्मा) |
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